Thursday, March 17, 2016

मोदी जी! याद रखिए, हरियाणा के लोग आपको माफ नहीं करेंगे


जिस ऊर्जा और उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर हरियाणा के लोगों ने लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया था वह उम्मीद एसवाईएल के मुद्दे पर धरासाई हो गई है। राजनीति ने एक ऐसा गुल खिलाया है कि हरियाणा और पंजाब में पानी की लड़ाई में मोदी चुप बैठे हैं। हवाला दिया जा रहा है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।  हरियाणा और पंजाब के बीच एसवाईएल यानि सतलुज यमुना लिंक नहर का मुद्दा कोई आज से गरम नहीं है। कई दशक से यह मुद्दा दोनों प्रदेशों में लड़ाई का सबसे बड़ा कारण रहा है। अब इस झगड़े ने एक ऐसा सियासती रंग ले लिया है जिसने केंद्र की बीजेपी सरकार को एक्सपोज कर दिया है।
मोदी और मजबूरी
मोदी चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि आने वाले चंद महीनों में पंजाब में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। मोदी और उनके सिपहसलार पंजाब में बादलों से कोई पंगा लेना नहीं चाह रहे हैं। हरियाणा वाले तो वैसे भी पांच साल के लिए बंधक बने ही हुए हैं। पंजाब में अकालियों के साथ अभी छेड़छाड़ हुई तो आने वाले समय में और भी बुरा परिणाम भुगतना पड़ सकता है। क्योंकि पंजाब में एंटी इनकंबेंसी फैक्टर हावी है, ऐसे में अगर बीजेपी ने जरा भी बादलों को आंखें दिखाई तो पूरा गेम ही पलट जाएगा और इसका सबसे अधिक फायदा कांग्रेस उठा ले जाएगी। हरियाणा के सभी सांसद मोदी के दरबार में फरियाद लगा रहे हैं, लेकिन बात-बात में ट्वीट करने वाले मोदी इतने बड़े मामले पर चुप्पी साधे बैठे हैं।
बादल की दबंगई
उधर, बादल सरकार अपनी मनमानी पर उतारू है। केंद्र सरकार की एसवाईएल मामले पर हस्तक्षेप न करने की नीति ने बादल सरकार को मनमानी की खुली छूट दे दी है। तभी तो पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बावजूद पंजाब विधानसभा में इस संबंध में बिल पेश कर दिया जाता है। नहर के लिए किसानों की अधिकृत करीब 3928 एकड़ जमीन को वापस करने का बिल भी पेश कर दिया जाता है। कहा जाता है कि जमीन के बदले दिया गया मुआवजा भी किसानों से नहीं लिया जाएगा। यहां तक की हरियाणा सरकार को उसका रुपया लौटा दिया जाता है, जो दो दशक पहले नहर की खुदाई के लिए दिया गया था। और हद इस बात का कि सरकारी मशिनरी का दुरुपयोग करते हुए एसएवाईएल नहर पाटने का काम भी शुरू कर दिया जाता है। 

माइलेज गेम 
चुनावी माइलेज पाने की हड़बड़ाहट देखिए कि जिस 122 किलोमीटर लंबी नहर बनाने में करीब तीन साल का लंबा वक्त लगा था उस नहर के 44 किलोमीटर क्षेत्र को सैकड़ो जेसीबी मशीन लगवाकर बादल सरकार ने एक दिन में भरवा दिया। अभी यह काम जारी ही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने वीरवार को यथास्थिति बनाने का आदेश दिया है। कांग्रेस भी नहर पाटने में अकालियों के साथ जुटी है।
कैप्टन की पारी
पंजाब में अपनी कप्तानी के लिए दूसरी पारी की बाट जोह रहे कैप्टन अमरिंदर और कांग्रेस के लिए यह मुद्दा संजीवनी के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के समय ही हरियाणा के साथ पानी का समझौता रद किया गया था। आसन्न विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एसवाईएल के मुद्दे को जबर्दस्त तरीके से भुनाना चाह रही थी, पर प्रकाश सिंह बादल ने मास्टस्ट्रोक फेंकते हुए नहर का ही अस्तित्व मिटा देने की चाल चल दी है। किसानों को उनकी जमीन वापस करने का आश्वासन देकर बादल ने एक ऐसी सियासी पासा फेंक दिया है जिसे काट पाना कांग्रेस के लिए मामूली नहीं होगा। कांग्रेस अब अकालियों के साथ मिलकर नहर पाटने के काम में जुटी है। कैप्टन अमरिंदर की पत्नी पूर्व सांसद परनीत कौर बुधवार को अपने दल बल के साथ फावरा लेकर नहर पाटने निकली थी।

है कोई जो हरियाणा का सुध लेगा?
अब सवाल उठता है इस नहर के पानी से सबसे अधिक फायदा किसे होने वाला था और सबसे अधिक घाटा किसे उठाना होगा। कहते हैं पंक्षी, नदिया, पवन के झोकों को कोई रोक नहीं सकता। यह अपनी उन्मुक्त उड़ान और बहाव से चलते हैं। पर हरियाणा की किस्मत में शायद यह नहीं है। पंजाब के किसान तो पानी आने से भी खुश थे और न आने से भी खुश हैं, क्योंकि सरकार ने उनकी जमीन भी वापस करने की बात कह दी है और मुआवजा भी नहीं वसूलने की गारंटी दे दी है। पर हरियाणा के किसानों का क्या? लंबे समय से अपनी फसलों के लिए सिंचाई के बेहतर संसाधन की बाट जोह रहे हरियाणावासियों को उम्मीद थी कि केंद्र में बीजेपी, हरियाणा में बीजेपी और पंजाब में अकाली बीजेपी के गठबंधन की सरकार से अच्छे दिन आएंगे। हरियाणा में दस साल कांग्रेस की सरकार होने के कारण पंजाब के अकालियों से रिश्ते मधुर नहीं हो सके। जिसके कारण यह मुद्दा विवादित ही बना रहा। पर अब यह मुद्दा संग्राम में तब्दील हो जाएगा, इसकी किसी ने परिकल्पना नहीं की थी। इस महासंग्राम में सबसे अधिक आश्चर्यजनक प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी है। ऐसे में हरियाणा के हितों की रक्षा कौन करेगा यह गंभीर सवाल है। क्योंकि सभी जानते हैं कि कोर्ट में यह मुद्दा इतना जल्दी सुलझने वाला नहीं है। ऐसे में चुनाव भी आ जाएगा। मुद्दा भी भुना लिया जाएगा। हरियाणावासी तो   चुप ही रहेंगे, क्योंकि उन्होंने पहले ही सत्ता सौंप रखी है। पंजाबवासी बल्ले-बल्ले कर रहे हैं, क्योंकि जमीन भी वापस मिल रही है और मुआवजा तो उनके खातों में पड़ा ही रहेगा।
पर मोदी जी, भले ही इस तरह की राजनीति करके पंजाब में आप बढ़त बना लें, यह पब्लिक सब जान गई है। माफ नहीं करेगी। याद रखिएगा।

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