Saturday, July 18, 2015

लागा चुनरी में दाग छुड़ाऊं कैसे...

सर्फ एक्सेल का विज्ञापन कहता है कुछ दाग अच्छे होते हैं। दस रुपए का ही सवाल तो है। ऐसे में अपनों की खुशी के लिए ये दाग अच्छे हैं। खूब लगाओ दाग। सर्फ एक्सेल है ना, दाग पल भर में गायब हो जाएंगे। पर जनाब कुछ दाग ऐसे भी हैं जो दस रुपए से तो क्या दस करोड़ रुपए से भी नहीं छूटने वाला। यह दाग है ही कुछ ऐसा। आईपीएल की साख पर अरबों रुपए का दाग लगा है। ऐसा नहीं है कि यह दाग पहले नहीं लगा हो, पर वक्त ने इन दाग को थोड़ा धुंधला कर दिया था। इस बार यह दाग इतना मजबूत है जिसका प्रभाव आने वाले समय में काफी गहरा पड़ेगा। भले ही बीसीसीआई ने चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स टीम को आईपीएल के फॉर्मेट से दो साल के लिए बाहर कर दिया है, पर मंथन का वक्त है कि क्या सिर्फ इतना भर कर देने से आईपीएल जैसे टूर्नामेंट की साख को दोबारा कायम किया जा सकता है।
भारत जैसे देश में जहां क्रिकेट धर्म की तरह पूजा जाता है और खिलाड़ियों को भगवान तक का दर्जा मिला हुआ है, उस देश में क्रिकेट की इस दुर्गति के बारे में कभी कल्पना भी नहीं की गई थी। भारत में क्रिकेट की इसी लोकप्रियता ने आईपीएल जैसे मेगा ग्लैमरस शो को अस्तित्व में लाया। क्रिकेट के इस मेगा ग्लैमरस शो ने अपने पहले ही साल में रुपयों की बरसात कर दी। पर सबसे अधिक फायदा हुआ देश के युवा क्रिकेटर्स को। हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद इंडियन टीम में हर साल एक से दो प्लेयर ही अपनी जगह बना पाते थे। कुछ प्लेयर तो ऐसे भी हुए जिन्होंने पूरी उम्र ही क्रिकेट को समर्पित कर दिया, फिर भी इंडियन कैप पहनने का उनका सपना पूरा नहीं हो सका। देवधर ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और रणजी ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट का फॉर्मेट तो भारत में काफी पहले से मौजूद था, पर इनमें उतना पैसा और ग्लैमर नहीं था। न ही सुरक्षित भविष्य की गारंटी थी। कई प्लेयर आज भी मौजूद हैं जो अफसोस करते नजर आते हैं कि उनके समय में आईपीएल जैसा फॉर्मेट नहीं था। यह सही भी है। जिस तरह आईपीएल ने युवा क्रिकेटर्स को पैसा, रुतबा, ग्लैमर से लबरेज कर दिया उसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। अगर किसी प्लेयर में थोड़ा भी टैलेंट है तो पैसों की बारिश में भीगने से उसे कोई रोक नहीं सकता।
आईपीएल के हर एक सीजन में कई ऐसे युवा क्रिकेटर्स सामने आए जिन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को चौंकाया। रातों रात उन्हें सेलिब्रिटी स्टेटस मिल गया। विज्ञापन से लेकर विभिन्न कंपनियों ने उन्हें रोजगार देने के लिए बांह फैलाकर स्वागत किया। आईपीएल के फॉर्मेट ने उन लाखों युवा क्रिकेटर्स के लिए एक आस जगा दी है। गली क्रिकेट से लेकर छोटे-छोटे शहरों में पनपने वाले क्रिकेटर्स की पौध ने क्रिकेट को कॅरियर आॅप्शन के तौर पर रख लिया है। पर हाल के वर्षों ने इस फॉर्मेट में इतनी विसंगतियां पैदा कर दी हैं, जिससे डर भी लगने लगा है। फिक्सिंग का ऐसा दाग इस फॉर्मेट पर लगा है जिसने क्रिकेट की दुनिया को कलंकित कर दिया है।
जिस वक्त आईपीएल की शुरुआत हुई थी इसका फॉर्मेट दस टीमों का था। बाद के वर्षों में यह आठ टीमों पर आकर टिक गया। अब जब दो टीमों को दो साल के लिए बाहर कर दिया गया है ऐसे में अब छह टीम के साथ नया सीजन पूरा होगा।
यह मंथन का समय है कि हम क्रिकेट के इस बेहतरीन फॉर्मेट को किस तरह सुरक्षित रखें। अरबों रुपयों का व्यापार करने वाले इस फॉर्मेट से न केवल युवा क्रिकेटर्स को फायदा मिलता है, बल्कि लाखों लोगों के रोजगार के लिए इस फॉर्मेट के योगदान को कम नहीं आंका जा सकता है। एक-एक मैच से होनी वाली आमदनी इतनी है कि आसानी से कोई टीम हर साल करोड़ों रुपए कमा लेती है। फिर ऐसी क्या मजबूरी है कि गलत तरीके से पैसा कमाने की होड़ में सभी शामिल हो गए हैं। दो साल पहले जब पूरी दुनिया ने इंडियन क्रिकेट के चमकते सितारे एस श्रीसंत को नैपथ्य में जाते देखा तब भी इस पर बहस हुई थी। एक पल में यह सितारा टूट कर इस कदर बिखर गया कि ब्रह्मांड में आज उसका नामो निशान नहीं है। इतना सबकुछ होते हुए भी इस फॉर्मेट से जुड़े लोग समझ नहीं रहे हैं। नहीं समझ पा रहे हैं कि यह दाग एक दिन उनकी हस्ती भी कलंकित कर देगा जो अब तक पाक साफ बने हुए हैं।
इस फॉर्मेट को बचाने के लिए क्रिकेट के बड़े सितारों को ही कुछ करना होगा। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि टीम के जितने भी मालिक हैं वे विशुद्ध रूप से व्यापारी हैं और व्यापारी अपना लाभ ही देखता है, चाहे वह कहीं से भी हो। ऐसे में अगर क्रिकेट के सितारे भी व्यापारी बन जाएं तो यह भारतीय क्रिकेट के साथ न्याय नहीं होगा। ऐसे में भारतीय क्रिकेट सितारे मंथन करें। उन्हें क्रिकेटर बनकर देश का प्यार पाना है या क्रिकेट के व्यापारी बनकर अपनी हस्ती को खत्म करना है। क्योंकि, एक बार अगर किसी क्रिकेटर की चुनरी पर दाग लग जाए तो वह एस श्रीसंत की तरह जिंदगी भर यही गाना गाएगा, लागा चुनरी में दाग छुड़ाऊं कैसे, घर (फील्ड) जाऊं कैसे....।

चलते-चलते
भले ही चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स टीम फिलहाल आईपीएल फॉर्मेट से बाहर है पर इन टीमों
से खेलने वाले अधिकतर क्रिकेटर इंडियन टीम में भी हैं। ऐसे में इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि इन स्टार   क्रिकेटर को कैसे पाक-साफ मान लिया जाए। आने वाले समय में क्या आईपीएल अपना ग्लैमरस रूप कायम रखने में कामयाब रहेगी, क्योंकि हर मैच को अब फिक्स और स्क्रिप्टेड रूप में देखा जाने लगा है।

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