Monday, December 29, 2014

श्री कृष्ण म्यूजियम की यात्रा



कुरुक्षेत्र का नाम तो आपने जरूर सुना होगा। हां वही कुरूक्षेत्र जिसे महाभारत के युद्ध के लिए जाना जाता है। सुनता आया था कि यहां की धरती लाल है। पर आज यह कपोल कल्पना ही नजर आती है।
अंबाला से सड़क मार्ग से कुरुक्षेत्र की दूरी करीब 45 किलोमीटर है। वैसे तो ग्रैंड ट्रैंक रोड पर आप अपनी कार को अस्सी नब्बे की रफ्तार में भी दौड़ा सकते हैं, पर बीच-बीच में बन रहे ओवर ब्रिज के कारण आपको वहां पहुंचने में करीब एक घंटे का समय लग सकता है। यहां पहुंचकर अगर आपको महाभारत, श्री कृष्ण और कुरुक्षेत्र को समझना है तो सीधे पहुंच जाएं श्री कृष्ण संग्रहालय। ब्रह्मसरोवर के सटे हुए यह संग्रहालय है। श्री कृष्ण संग्रहायल में प्रवेश करते ही आपको एक विशाल मानचित्र के जरिए यह बताने का प्रयास किया गया है कि आखिर कुरुक्षेत्र कहते किसको हैं। पौराणिक प्रमाणों के आधार पर बताया जाता है कि कुरुक्षेत्र की सीमा 48 कोस में समाहित है। इसमें आधुनिक करनाल, जींद, पानीपत और कैथल का भी काफी इलाका आता है। इसी 48 कोस की पैराणिक सीमा में महाभारत का युद्ध हुआ था। जानकार बताते हैं कि आज भी इस 48 कोस की सीमा में युद्ध के कई प्रमाण मौजूद हैं। इसी कुरुक्षेत्र की सीमा से होकर सरस्वती नदी का भी प्रवाह था। आज भी इस कुरुक्षेत्र की इस पौराणिक सीमा के अंतर्गत 108 प्राचीन मंदिरों का अस्तित्व है। कहते हैं इसी 48 कोस के चार कोणों  पर चार यक्षों का पहरा होता था। म्यूजियम के अंदर आपको भारत की विभिन्न कलाओं का अद्भूत संगम देखने को मिलेगा। यहां श्रीकृष्ण और महाभारत काल के तमाम संग्रह किए गए अवशेष या तो खुदाई में मिले हैं या विभिन्न राज्यों द्वारा म्यूजियम को गिफ्ट किए गए हैं। काष्ठ कला से लेकर, प्राचीन चित्र कला का बेजोड़ नमूना आपको अपने भारत की प्रचीन कलाओं पर गर्व करने का एहसास जरूर कराएगा। स्कल्पचर के जरिए भी आप महाभारत के युद्ध, कृष्ण की लीला को समझ सकते हैं। मृत्युशैया पर पड़े भिष्म और उनके आस पास मौजूद कौरवों और पांडवों सहित श्री कृष्ण की उपस्थिति पर्यटकों के आकर्षण का विशेष केंद्र है। मंत्रमुग्ध कर देने वाली इस गैलरी के बाद आप जब तीसरी मंजिल पर मौजूद मल्टीमीडिया गैलरी में पहुंचते हैं तो आप खुद को एक रोमांचक दुनिया में पाते हैं। आॅडियो-वीडियो साउंड इफेक्ट के जनिए आपको महाभारत से जुड़े प्रसंगों को समझने का मौका मिलता है। इसी गैलरी में आपको अभिमन्यू के लिए बनाए गए चक्रव्यूह से भी गुजरने का मौका मिलेगा। गैलरी के अंत में आपको यह समझने का मौका मिलेगा कि कैसे श्रीकृष्ण ने देह त्याग किया और कैसे एक स्वाण के साथ धर्मराज युधिष्ठिर का स्वर्गारोहण हुआ। वैसे तो आप अगर देखते जाएं तो पूरे म्यूजियम को एक घंटे में देख सकते हैं। पर अगर इसे समझना है तो गाइड की मदद जरूरी है। मेरा सौभग्य था कि म्यूजियम के क्यूरेटर श्री राणा के सहयोग से चंदर शर्मा जी जैसे प्रखर विद्वान मिल गए। इन्होंने करीब ढ़ाई घंटे में जितना करीब से महाभारत और श्रीकृष्ण से जुड़े प्रसंगों को समझाया वह अकल्पिनय था। हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी पर समान पकड़ रखने वाले शर्मा जी की श्री कृष्ण के प्रति भक्ति-भाव देखकर किसी के भी आंखों में आंसू आ सकता है। ऐसा मेरे साथ भी हुआ जब उन्होंने श्रीकृष्ण और राधा के प्रसंगों को अपने ही अंदाज में सुनाया और दिखाया। शायद भारत के किसी कोने में श्रीकृष्ण को समझने के लिए इससे बेहतर जगह कोई दूसरी नहीं हो सकती। और हां, आप जब कुरुक्षेत्र आएं तो ब्रह्ण सरोवर जाना न भूलें। यह जगह अपने आप में कई कहानियों को समेटे हुए है।

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