Tuesday, February 16, 2016

आप मोदी विरोधी बन सकते हैं, राष्ट्रविरोधी नहीं


एक राष्टÑभक्त बनना और राष्टÑभक्ति को जीना किसे कहते हैं, यह भारतीय सैन्य परंपरा से सीखी जा सकती है। शायद यही कारण है कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे संस्थान में देश को बांटने वाली नारेबाजी ने सैनिकों और सैन्य अधिकारियों को विचलित कर दिया है। कुछ अधिकारियों ने अपनी डिग्री तक लौटाने की पेशकश कर दी है, क्योंकि यह डिग्री उन्हें जेएनयू से ही प्राप्त हुई है। देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी के आर्मी कैडेट कॉलेज और खड़गवासला स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) से ग्रेजुएट होने वालों को इसी जेनएयू की डिग्री प्राप्त होती है। डिग्री पाने वाले सैन्य अफसरों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस यूनिवर्सिटी की वे डिग्री ले रहे हैं, वहां आतंकियों को पैदा करने की कसमें खाई जा सकती हैं। यह कैसी शिक्षा का गढ़ बन रहे हैं हमारे शैक्षणिक संस्थान, मंथन का वक्त है।
जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था ने आपको फ्रीडम आॅफ स्पीच और एक्सप्रेशन की आजादी दे रखी है, उसी लोकतंत्र ने देशद्रोहियों को फांसी देने की व्यवस्था भी दे रखी है। आप बोलने की आजादी के नाम पर भारत मां को गाली नहीं दे सकते हैं। इसके टुकड़े-टुकडेÞ करने की आजादी आपको नहीं मिली है। बोलिए, खूब बोलिए, पर इतनी तो समझ होनी ही चाहिए कि आप क्या बोल रहे हैं? किसके लिए बोल रहे हैं? जिस भारत मां के कोख ने आपको पाला है। जिस भारत मां की छांव में आप खुद को स्वतंत्र महसूस करते हैं, उसी के प्रति आपके दिलों में इतनी नफरत को कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है। क्या आप यह चाहते हैं भारत को सरेआम गाली दी जाए और पूरा देश चुपचाप होकर इसे देखता रहे?
आप एक विचारधारा के समर्थक हो सकते हैं। किसी व्यक्ति खास के लिए आप कुछ भी करने को तैयार हो सकते हैं। आप किसी राजनीतिक पार्टी के पक्षधर हो सकते हैं। पर जिस भारत मां की कोख से आपने जन्म लिया है, उसकी छाती चीरने की इजाजत आपको किसने दे दी। भारतीय जनता पार्टी या नरेंद्र मोदी से आपके विचार मेल नहीं खाते हैं। नरेंद्र मोदी की बातें आपको पसंद नहीं आती हैं। उनका एटीट्यूट आपको पसंद नहीं आता है। बीजेपी की नीतियों को भी आप कूड़े के ढेर में फेंक सकते हैं। इन नीतियों के खिलाफ खुलकर बोल सकते हैं, धरना-प्रदर्शन कर सकते हैं। पर इसका सर्टिफिकेट आपको किसने दे दिया है कि आप फ्रीडम आॅफ स्पीच के नाम पर खुलेआम भारत विरोधी नारेबाजी कर सकें। मोदी विरोधी बनते-बनते आप कब राष्टÑविरोधी बनते जा रहे हैं इसका अंदाजा भी शायद नहीं होगा।
कॉलेज और यूनिवर्सिटी में विचारों की लड़ाई कोई नई नहीं है। पर हाल के दिनों में जिस तरह बीजेपी के नाम पर राष्टÑविरोध की परिपाटी चल पड़ी है, उसे किसी भी हाल में भारत के लोग बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। पिछले दिनों हैदराबाद यूनिवर्सिटी का छात्र इसी तरह की राष्टÑविरोधी गतिविधियों के कारण यूनिवर्सिटी कैंपस से डी-बार किया गया था। एक अच्छी और उच्च शिक्षा प्राप्त करने गए रोहित को जब अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा तो उसने खालीपन का जिक्र करते हुए मौत को गले लगा लिया। भविष्य में देशद्रोह के आरोपी जेनएयू का कोई छात्र ऐसा कर ले तो हमें आश्चर्यचकित होने की जरूरत नहीं, क्योंकि यह घटना यूं ही शांत होने वाली नहीं है। अभी बहुत कुछ देखना बाकी है।
जेएनयू में हुई शर्मनाक घटना को कोई भी सच्चा भारतीय दिल से सहन नहीं कर सकता है, पर हद यह है कि विचारों की लड़ाई लड़ने वाले अपने कुतर्कों से इसे भी जायज ठहराने पर तुले हैं। इस मामले का भी राजनीतिकरण करते हुए कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश जारी है। विचारों के पंडित इस बात को स्वीकारने में शर्म महसूस कर रहे हैं कि जेएनयू में जो कुछ हुआ वह गलत हुआ, पर अफजल गुरु के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंकने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। हद यह है कि देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों में से एक जेएनयू को विचारों की लड़ाई से ऊपर उठकर राजनीति के अखाड़े में तब्दील करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जा रही है।
हर एक मामले को सरकार से या सीधे शब्दों में कहूं तो नरेंद्र मोदी या पीएमओ से जोड़कर देखना आज सबसे बड़ा चार्म बन चुका है। हैदराबाद यूनिवर्सिटी में कुछ हुआ तो पीएमओ के इशारे पर हुआ, जेएनयू में अगर पुलिस कार्रवाई हुई तो मोदी के इशारे पर हुई। कल अगर किसी प्राथमिक स्कूल में कोई शिक्षक देश विरोधी गतिविधियों में पकड़ा जाता है तो यह कार्रवाई भी शायद मोदी के इशारे पर ही होगी। विचारों की कुंठा लोगों पर इस कदर हावी हो चुकी है कि आपने भारत का गुणगान किया नहीं कि आप पर मोदीमय होने का ठप्पा तुरंत लग जाएगा। आपने देशप्रेम की बात की नहीं कि आपको ‘भक्त’ घोषित कर दिया जाएगा।

राष्टÑप्रेम को व्यक्तिप्रेम के चश्मे से देखना हमें बंद करना होगा। मोदी के आप विरोधी बन सकते हैं पर मोदी के नाम पर राष्ट्रविरोधी बनने का संकल्प लेने वालों के लिए जेल के अलावा दूसरा विकल्प नहीं बचता है। विचारों की संकीर्णता में जीने वाले चंद युवाओं के दम पर देश नहीं चल रहा है। इसी देश की आन, बान और शान के लिए लाखों युवा अपना सब कुछ न्योछावर कर रहे हैं। विदेशों   में भी भारतीयता का डंका देशप्रेम की अलख की बदौलत ही जल रहा है। इसमें मोदी या बीजेपी ने क्या कर लिया है। क्या भारत चीन की लड़ाई और भारत पाकिस्तान की लड़ाई या फिर करगिल की लड़ाई में शहीद होने वाले मोदी भक्त थे। अब भी वक्त है, मंथन जरूर करें। मोदी या बीजेपी आपको पसंद नहीं तो इंतजार करिए चंद वर्षों का। मौका आएगा। अगर यह सरकार पसंद नहीं तो उतार फेंकिएगा गद्दी से। पर विनती है मोदी के नाम पर घर-घर में आतंकी बनने की कसम तो न खाओ। नहीं तो आने वाली पीढ़ी तुम्हें कभी माफ नहीं करेगी।

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