Monday, June 18, 2018

कायरों ने एक औरंगजेब मारा, हजारों मर मिटने को तैयार



आज मंथन से पहले आप पाठकों को इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) के एंथम की चंद पंक्तियां पढ़वा रहा हूं। गौर से पढ़िए। जावेद अख्तर के लिखे इस एंथम को आप यू-ट्यूब पर बेहतर तरीके से सुन सकते हैं, ताकि इसके बोल को आप हमेशा के लिए गुनगुनाने को आत्मसात कर सकें।

भारत माता तेरी कसम, तेरे रक्षक रहेंगे हम
वंदे मातरम..वंदे मातरम..वंदे मातरम
मां हमने तनमन जीवन तुझसे ही पाए हैं
तेरी धरती से जन्मे हैं तेरे ही फल खाए हैं
हम पर तेरी ममता, तेरी करुणा के साये हैं
तेरी बाहों में हैं पले, मां हम तेरे हैं लाडले
दीवारें हम बनेंगे मां, तलवारें हम बनेंगे मां
छू ले तुझको है किसमें दम
भारत माता तेरी कसम
वंदे मातरम..वंदे मातरम..

न पंक्तियों को पढ़कर आपको अहसास हो गया होगा कि एक उमर फैयाज और एक औरंगजेब को मारकर आतंकी हमारे बहादुर जवानों का हौसला नहीं डिगा सकते। यह कायराना हरकत कर आतंकी सिर्फ दहशत का संदेश देना चाहते हैं, पर उन्हें शायद यह मालूम नहीं कि जिस धरती मां के साये में इन जांबाजों को दफन किया गया है, उसी धरती मां की कोख से हजारों नौजवान देश पर मर मिटने को तैयार हैं। पिछले साल मई के महीने में आतंकियों ने लेफ्टिनेंट उमर फैयाज को किडनैप कर लिया था। बाद में उनकी हत्या कर दी थी। यह संदेश कश्मीरी युवाओं के लिए था, जो सेना में हैं या जाना चाहते हैं। आतंकियों का संदेश साफ था। जो युवा सेना से जुड़ेंगे उनका भी हश्र ऐसा ही होगा। पर हुआ इसका उलटा।

आपको जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि इस साल इंडियन मिलिट्री एकेडमी से जम्मू कश्मीर के सर्वाधिक युवाओं ने भारतीय सेना में कमिशन प्राप्त किया है। पिछले साल की पीओपी में जहां जम्मू-कश्मीर टॉप टेन से बाहर था। वहीं इस साल जून के प्रथम सप्ताह में संपन्न हुए पासिंग आउट परेड में जम्मू कश्मीर के 17 युवा भारतीय सेना में आॅफिसर बने हैं। सर्वाधिक सैन्य अधिकारी देने वाले राज्यों में जम्मू कश्मीर आठवें स्थान पर रहा है। यह कोई साधारण बात नहीं है, क्योंकि जब पिछले साल लेफ्टिनेंट उमर की हत्या हुई थी तो कई तरह की आशंकाएं पैदा हो गई थी। आतंकियों ने लगभग 26 साल बाद इस तरह की कायराना हरकत की थी। मैंने पिछले साल उमर फैयाज की शहादत पर अपने इसी कॉलम में उनकी चर्चा करते हुए लिखा था कि ‘‘उमर की शहादत ने कश्मीर के युवाओं को बड़ा संदेश देकर उमर को अमर कर दिया है।’’ आज मुझे गर्व के साथ दुख भी हो रहा है। गर्व इस बात पर कि जम्मू कश्मीर से एक साथ इतने युवाओं ने भारतीय सेना में शामिल होकर भारत मां की रक्षा की कसम खाई है। दुख इस बात पर कि एक बार फिर आतंकियों ने अपनी पुरानी स्ट्रेटजी पर काम करते हुए राइफल मैन औरंगजेब की हत्या कर दी है। उमर की तरह औरंगजेब को भी किडनैप करके मारा गया।
उमर और औरंगजेब की शहादत ने हमारे हुक्मरानों को भी सोचने और मंथन करने का नया नजरिया दिया है। कश्मीर के युवाओं को एक नए नजरिए से समझने की जरूरत है। चंद पत्थरबाजों की बात छोड़ दें तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कश्मीर के युवा भटकाव की स्थिति में नहीं हैं। कुछ रुपयों की लालच में पाकिस्तान और आईएसआईएस का झंडा उठाए कश्मीर के युवा जब पत्थरबाजी करते हैं तो आश्चर्य होता है। आश्चर्य इस बात से कि कैसे युवाओं का एक वर्ग इतनी जल्दी बहक जा रहा है। कैसे उन्हें मोटिवेट कर लिया जा रहा है। क्यों वे भारत में रहकर भारत मां के खिलाफ हो रहे हैं। राजनीतिक चश्मा उतार कर मंथन करें तो पाएंगे कि आसानी से मिलने वाले रुपयों की खातिर वे पत्थर फेंकने से नहीं हिचक रहे हैं। पहले इन्हीं रुपयों की लालच में वे सेना पर हैंड ग्रेनेड तक फेंक दिया करते थे। कई रिपोर्ट्स में इस बात का खुलासा हो चुका है कि ये पत्थरबाज पेड इंप्लाई की तरह काम कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन पेड इंप्लाइज की हरकतों को कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता है, ताकि पूरा विश्व कश्मीर के ‘पैदा किए हुए’ हालातों से रूबरू हो सके। यह इतना प्लांड तरीके से किया जा रहा है कि सबकुछ सामान्य लगे। 

हाल ही में जब राजनाथ सिंह ने हजारों पत्थरबाजों के ऊपर से मुकदमा हटाने की बात कही थी तो तीव्र प्रतिक्रिया सामने आई थी। कहा जाने लगा कि वोट की राजनीति ने केंद्र सरकार को मजबूर कर रखा है। पर भारत सरकार ने कश्मीर के युवाओं के प्रति नए नजरिए से मंथन शुरू किया है। यह नया नजरिया उन्हें अपने करीब लाने का है। कश्मीरी युवाओं के हालात का अर्द्धसत्य ही हम देख पा रहे हैं। जबकि दूसरे पहलू से हम अनजान हैं। आईएमए का पासिंग आउट परेड इसी तस्वीर का दूसरा पहलू है। आईएमए ही नहीं बल्कि सेना, अर्द्धसैनिक बल, कश्मीर पुलिस की तमाम भर्तियों में भारी संख्या में उमड़ रही युवाओं की भीड़ ने भी मंथन करने पर मजबूर कर दिया है। युवाओं की इसी भीड़ ने आतंकी आकाओं के होश उड़ा रखे हैं। उन्हें पता है कि बेरोजगारी ही एक ऐसा रास्ता है जहां से युवाओं को पत्थरबाज या आतंकी बनाया जा सकता है। जब बेरोजगारी का दांव फेल होता दिखा है तो उमर और औरंगजेब जैसे कश्मीरी युवाओं के जरिए संदेश दिया जा रहा है। यही वो समय है जब केंद्र सरकार अपनी सारी ताकत झोंक कर आतंकियों को मजबूत संदेश दे। 
  मंथन इस बात पर भी होना चाहिए कि कश्मीर की लड़ाई अब बंदूक और गोलियों से अधिक मनोवैज्ञानिक बन चुकी है। इस मनोवैज्ञानिक युद्ध में अगर केंद्र सरकार कमजोर पड़ गई तो आने वाले समय में मूंह पर कपड़ा बांधे पत्थरबाज और अधिक संख्या में बाहर निकलेंगे। यह सुखद संदेश है कि वर्षों से कराह रहे कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार ने नए नजरिए से मंथन करना शुरू किया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में और अधिक सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। केंद्र सरकार इस बात पर भी जरूर मंथन करे कि क्यों नहीं कश्मीरी युवाओं के सकारात्मक पहलुओं से पूरी दुनिया को रूबरू करवाया जाए। क्यों इस मनोवैज्ञानिक युद्ध में पत्थरबाज बाजी मार रहे हैं। खुद की बनाई वीडियो कैसे तत्काल वे वायरल कर देते हैं, जबकि कश्मीरी युवाओं के दूसरे सकारात्मक पहलूओं को क्यों नहीं वायरल होने दिया जा रहा है। क्यों नहीं पूरी दुनिया को बताया जा रहा है कि कायरों ने एक औरंगजेब को मारा है, जबकि औरंगजेब जैसे हजारों सूरवीर भारत मां की रक्षा को मर मिटने को तैयार बैठे हैं।
चलते-चलते
शहीद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज और राइफलमैन औरंगजेब की शहादत कश्मीर के युवाओं को लंबे समय तक याद दिलाती रहेगी कि चंद कायरों की हरकत उनके कदम नहीं रोक सकती है। दीवारें हम बनेंगे मां, तलवारें हम बनेंगे मां, छू ले तुझको है किसमें दम..गीत गाने वाले हजारों सूरवीरों को मेरा नमन।

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