Monday, April 3, 2023

भोजपुरी के इ बेइज्जती बर्दास्त के बाहर बा....

मैं भोजपुरी भाषी नहीं हूं, पर अन्य भाषाओं के साथ भोजपुरी पर भी अच्छी पकड़ है। मैं धारा प्रवाह भोजपुरी बोल सकता हूं। दरअसल, मुजफ्फरपुर में जहां हम लोग शुरुआती दौर में रहते थे वहां हमारे पड़ोसी पश्चिमी चंपारण के चनपटिया से थे। विशुद्ध भोजपुरी बोलने वाले। हम लोग करीब 24 साल उनके पड़ोसी रहे। आपको याद होगा कुछ साल पहले मैंने हिटलर से जुड़ी कहानी बताई थी। दरअसल वो हिटलर http://musafir-kunal.blogspot.com/2016/12/blog-post_23.html का ही परिवार था। जब मैं छोटा था तो यह भाषा या बोली समझ में नहीं आती थी। पर मिठास इतनी अधिक थी कि बोलने की कोशिश करने लगा। अपनी दादी को वो लोग ईया कहते थे। मुझे इस शब्द में इतना अपनापन लगता था कि पूछिए मत। ए ईया खाना खा ल.. इस शब्द को महसूस करिए कि जब कोई पोता अपनी दादी को ऐसे बोले तो कितना प्यारा लगता है। और तो और भोजपुरी में डांटना तो और प्यारा लगता था। चाची जी को कई बार अपने बच्चों को डांटते हुए सुनता था। खाने में जब हिटलर नखरा दिखाता थे तो वो कहती थीं... चुपचाप खाना खइबा, की मार खइबा। तो ईया से शुरू हुई भोजपुरी की कहानी हमारे जीवन का अंग बन गई। 24 साल साथ में रहने के कारण हम (यानी मैं और मेरे बड़े भैय्या) भोजपुरी बोलने में पारंगत हो गए। दीदी भी बोल समझ लेती है, लेकिन हमारे जैसी अच्छी भोजपुरी नहीं बोल सकती। मैं और भैय्या कई बार उनके घर चनपटिया गए थे। गांव में कई लोग हमें शानदार भोजपुरी बोलता देख हैरान हो जाते थे। आज भी कहीं भी कोई भोजपुरी में संवाद करता दिख जाता है तो उनसे भोजपुरी में ही संवाद करना अच्छा लगता है। दो दिन पहले ही दिल्ली से राजीव भाई और प्रगति जी नोएडा आए थे। राजीव भाई बिहार में आरा, जबकि प्रगति जी बनारस से हैं। दोनों ही भोजपुरी भाषी क्षेत्र से हैं। दोनों लंबे वक्त से दिल्ली में हैं। इन दोनों ने कड़ी मेहनत के दम पर अपनी कंपनी को छोटे स्तर से आज एक बड़े मुकाम तक पहुंचा दिया है। पर विदेशों का दौरा हो या देश के किसी दूसरे राज्य में जाना हो, इन लोगों ने भोजपुरी का साथ नहीं छोड़ा है। आपसी संवाद भोजपुरी में ही करते हैं। उस दिन उनके साथ मैं भी भोजपुरी में ही बातचीत करने लगा। उन दोनों के साथ भोजपुरी में बात कर मन प्रसन्न हो गया। दिन में हुआ भोजपुरी का संवाद रात तक दिमाग पर हावी था। ऐसे में रात का खाना खाते समय आईपीएल लगा लिया। तभी याद आया कि इस बार तो आईपीएल की कमेंट्री भी भोजपुरी में हो रही है। मन हुआ कि सुनें कैसे कमेंट्री की जा रही है। बता दूं कि पहली बार आईपीएल में एक साथ 12 भाषाओं में कमेंट्री की जा रही है। भोजपुरी को भी इसका सौभाग्य मिला है कि वो अपना और अधिक विस्तार पा सके। दुनिया में करीब 16-17 देश हैं जहां भोजपुरी बोली जाती है। मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद जैसे देशों में तो लगेगा कि आप यूपी-बिहार में हैं। बहुत शान से लोग भोजपुरी में बात करते मिल जाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में बीस से पच्चीस करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। ऐसे में आईपीएल में इसकी इंट्री सच में बड़ी बात है। बड़े उत्साह के साथ भोजपुरी में कमेंट्री का मजा लेने बैठा था, पर कुछ देर ही बर्दास्त कर सका। भोजपुरी की ऐसी बेइज्जती और बेकद्री देखकर मन दुखी हो गया। सिनेमा और छोटे परदे ने पहले ही भोजपुरी को कॉमेडी की भाषा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब आईपीएल ने इसमें और इजाफा कर दिया। कमेंट्री सुनकर ऐसा लग रहा था कि मानो आप कोई कॉमेडी शो में बैठे हों। हर बात में हंसी ठिठोली... इ गेंदा त आरा छपरा के पार चल जाई हो... हई का... मुहवां फोड़ देब का.. जा नो बॉल हो गईल। जियो हो बाबू, जिया जवान.. जा झाड़ के। रवि किशन एक अच्छे नेता और अभिनेता हो सकते हैं, पर कैसे स्वीकार कर लिया जाए कि क्रिकेट कमेंट्री को भी मनोरंजन के नाम पर फुहड़ता में शामिल कर लेंगे। बिहार, यूपी, झारखंड में एक से बढ़कर एक टैलेंटेड क्रिकेटर मौजूद हैं, जिन्हें क्रिकेट की समझ भी है और वो भोजपुरी भी शानदार बोल सकते हैं। फिर ऐसी क्या मजबूरी है कि एक बार फिर भोजपुरी के नाम पर हमें हंसी ठिठोली करने वाले ही याद आए। क्या आपने कभी अंग्रेजी या हिन्दी में कमेंटेटर को इस तरह दो कौड़ी की हंसी ठिठोली करते देखा है। फिर ऐसा क्यों है कि भोजपुरी कमेंट्री में हमें जबर्दस्ती हंसाने का प्रयास किया जा रहा है। अच्छे क्रिकेटर को लाकर उनके जरिए भी क्रिकेट की बारीकियों और उसके फॉर्मेट को बेहतर तरीके से दर्शकों के सामने रखा जा सकता था। हां यह भी सच है कि भोजपुरी कमेंटेटर्स की लिस्ट में कई एक्टिव क्रिकेटर भी मौजूद हैं, जिनसे उम्मीद की जा सकती है कि वो बेहतर करें। अभी कई मैच शेष हैं, ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि हास परिहास के साथ कुछ बेहतर कमेंट्री सुनने को मिले। पर शुरुआती दौर के क्रेज में अफसोस है कि भोजपुरी ने वह मौका हाथ से गंवा दिया है। भोजपुरी के ई बेइज्जती त हमरा से बर्दास्त न भइल... रऊआ लोगिन भी सुन के देखीं अउर आपन बात बताईं.... इंतजार रही...

2 comments:

Anonymous said...

सही बात बा, काफ़ी घटिया स्तर के कमेंट्री भोजपुरी हो रहल बा।

Anonymous said...

Enjoy the commentry, its simply entertaining..