Saturday, February 23, 2019

खेल के मैदान से जंग के मैदान तक सब जायज


मंथन का वक्त है कि क्या देश की भावना से ऊपर दो अंक हैं? क्या हो जाएगा अगर भारत एक मैच नहीं खेलता है। क्या हो जाएगा अगर भारत एक और विश्व कप नहीं जीतता है। बहुत ऐसे मौके आएंगे। पर यह मौका नहीं आएगा। अब क्रिकेट के मैदान में भी पाक को अलग-थलग करने की जरूरत है।



पुलवामा में पाक प्रायोजित आतंकी घटना के बाद पूरे विश्व में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश है। तमाम राष्ट्रों ने भारत के समर्थन में अपनी बात कही है। साथ ही आतंक के खिलाफ किसी भी कार्रवाई में भारत को पूरी तरह समर्थन देने का एलान किया है। अमेरिका हो या रूस या फिर फ्रांस सभी देशों ने पुलवामा अटैक पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इस आतंकी घटना के बाद पाकिस्तान भी खुद ही एक्सपोज हो गया। भारत ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए आतंक को प्रश्रय देने वाले देशों को संभल जाने की चेतावनी दी, जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने खुद ही सामने आकर यह बयान दे दिया कि भारत पाकिस्तान पर बेवजह का आरोप लगा रहा है। यह वैसा ही हुआ जैसा कि चोर की दाढ़ी में तिनका।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद एक बेहतर क्रिकेटर रहे हैं। लंबे समय तक पाकिस्तान की क्रिकेट टीम को लीड किया है। ऐसे में उन्हें यह बात बखूबी पता होगी कि क्रिकेट का मैदान हो या फिर जंग का मैदान। सभी के कुछ न कुछ नियम कायदे होते हैं। फिर भी दोनों ही मैदान में सब कुछ जायज होता है। अब जबकि पुलवामा अटैक के बाद दोनों देशों के बीच विश्व कप के दौरान होने वाली भिड़ंत पर चर्चा चल रही है तो पाकिस्तान एक बार फिर सहमा हुआ है। वैसे भी पाकिस्तान के साथ कोई भी देश किसी तरह की क्रिकेट सीरीज खेलने में रुचि नहीं दिखाता है। पाकिस्तान में क्रिकेट सीरीज हुए तो लंबा समय गुजर चुका है। पाकिस्तान की टीम ही दूसरे देशों में जाकर क्रिकेट खेलती है। कोई भी देश पाकिस्तान में जाकर क्रिकेट नहीं खेलना चाहता है। वजह साफ है। पाकिस्तान में पनप रही आतंकवाद की फैक्ट्री।
ऐसे में भारत जो कुटनीतिक कदम उठा रहा है उसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद यह बहस लगातार तेज हो रही है कि टीम इंडिया को आगामी वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ अपने मैच का बहिष्कार कर देना चाहिए। भारत के कई दिग्गज क्रिकेटर्स ने भी यह बात दोहराई है कि पाकिस्तान के साथ किसी तरह का खेल संबंध नहीं रखना चाहिए। विश्व कप में नहीं खेलने से एक साफ मैसेज जाएगा कि अब पाक के साथ संबंध सुधारने के दिन गुजर चुके हैं। अब तो बातचीत तब ही शुरू होगी जब पाकिस्तान भारत में अपनी प्रयोजित आतंकवाद की घिनौनी हरकत बंद करे।
बीसीसीआई ने भी स्पष्ट कर दिया है कि विश्व कप में पाक के साथ खेलने का फैसला पूरी तरह केंद्र सरकार को लेना है। टीम इंडिया भारत सरकार के साथ है। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने भी कहा है कि टीम का वही स्टैंड होगा जो देश का होगा। उन्होंने कहा कि लिया गया फैसला उन्हें और पूरी टीम को मंजूर होगा। विश्व कप में भारत और पाकिस्तान की टीमों का आमना-सामना 16 जून होना है। इससे पहले कोच रवि शास्त्री ने भी सरकार का सपोर्ट करने की बात कही थी। पुलवामा हमले के बाद खिलाड़ियों के साथ-साथ पूर्व क्रिकेटर्स भी इस मसले पर अपनी राय रख रहे हैं। भारत की तरफ से सौरभ गांगुली ने पाक के साथ क्रिकेट ही नहीं, सभी खेलों के रिश्ते खत्म करने को कहा था। वहीं सचिन तेंडुलकर ने पाकिस्तान के साथ खेलने की वकालत करते हुए कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर विश्व कप में बिना खेले पाकिस्तान को 2 अंक देना पसंद नहीं करेंगे। सुनील गावस्कर ने कहा था कि विश्व कप में पाक से न खेलकर भारत का ही नुकसान होगा। वहीं पाकिस्तान की तरफ से शोएब अख्तर ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि भारत को मैच नहीं खेलने का फैसला लेने का हक है।
यह सही है कि पाकिस्तान के साथ मैच न खेलकर भारत मुफ्त में पाकिस्तान को दो अंक दे देगा। निश्चित तौर पर इस दो अंक का फायदा पाकिस्तान को विश्व कप के अगले दौर में लेकर चला जाएगा। इसमें भी दो राय नहीं कि विश्व कप में हमेशा से ही पाक के खिलाफ भारत का पलड़ा काफी भारी रहा है। आज तक विश्व कप में भारत ने पाक के खिलाफ हार का मुंह नहीं देखा है। ऐसे में तेंदुलकर और गावस्कर की बातों को भी नकारा नहीं जा सकता है। इन दिग्गजों का मानना है कि हम मुफ्त में क्यों पाक को अंक दें , जबकि हम उन्हें आसानी से हरा सकते हैं।
पर मंथन का वक्त है कि क्या देश की भावना से ऊपर दो अंक हैं? क्या हो जाएगा अगर भारत एक मैच नहीं खेलता है। क्या हो जाएगा अगर भारत एक और विश्व कप नहीं जीतता है। बहुत ऐसे मौके आएंगे। विश्व में हमारी क्रिकेट टीम की कितनी धाक है यह किसी से छिपी नहीं है। टॉप टेन क्रिकेटर्स में छह नाम इंडियन क्रिकेटर्स के ही हैं। ऐसे में यह बताने की जरूरत नहीं है कि टीम इंडिया कहां है और पाकिस्तान की टीम कहां है। मौके तमाम आएंगे जब पाकिस्तान को पहले जैसा धूल चटाया जाएगा। पर यह मौका नहीं आएगा। जब पूरे विश्व की नजर क्रिकेट वर्ल्ड कप पर होगी और भारत पाक के साथ क्रिकेट खेलने से मना कर देगा, क्योंकि यह देश आतंक को प्रश्रय देता है। भारत के खिलाफ आतंकवादियों का सहारा लेकर प्रॉक्सी वॉर करता है। पुलवामा अटैक के बाद भारत ने अपनी विदेश नीति में पाकिस्तान को लेकर बड़ा परिवर्तन किया है। पाक से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा लेकर भारत ने पहले ही पाकिस्तान की आर्थिक रीढ़ तोड़ने जैसा कदम उठा दिया है। पाकिस्तान को जाने वाली पानी को लेकर भी भारत अब तक जो दरियादिली दिखाता आ रहा था उस पर भी बड़े फैसले लिए जा चुके हैं। अंतरराष्टÑीय स्तर पर पाकिस्तान को आतंकवाद का चेहरा बताने में भारत ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। इसी का परिणाम है कि अमेरिका हो या रूस या फिर अन्य यूरोपियन देश, सभी ने पाकिस्तान को संभलने को कहा है। ऐसे में अगर क्रिकेट के मैदान पर भी पाकिस्तान को अलग थलग कर कड़ा प्रहार करने की जरूरत है।
वैसे भी यह कोई पहली बार नहीं होगा कि विश्व कप में कोई टीम दूसरी टीम के खिलाफ मैच खेलने से मना कर दे। विश्व क्रिकेट इतिहास में इससे पहले भी कई मौकों पर कुछ टीमों ने अपने मैचों का बॉयकाट किया है। 1996 का वर्ल्ड कप भारत, श्रीलंका और पाकिस्तान में आयोजित किया गया था। इस टूर्नामेंट में आॅस्ट्रेलिया को श्रीलंका के खिलाफ मैच खेलना था। कंगारू टीम ने सुरक्षा का हवाला देते हुए कोलंबो विजिट नहीं किया। वर्ल्ड कप से एक महीना पहले कोलंबो में एक बम विस्फोट हुआ था। इसके बाद आॅस्ट्रेलियाई बोर्ड ने अपनी टीम को वहां भेजना उचित नहीं समझा। आॅस्ट्रेलिया को 2 प्वाइंट गंवाने पड़े। पर इससे क्या फर्क पड़ गया। आॅस्ट्रेलिया की क्रिकेट वर्ल्ड में बादशाहत आज भी कायम है। इस वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज ने भी श्रीलंका में मैच खेलने से मना कर दिया था। वर्ष 2001 में भी इंग्लैंड की टीम ने जिम्बाब्वे का दौरा रद किया था। इंग्लैंड के बाद कीवी टीम ने नैरोबी (केन्या) जाने से मना कर दिया। 

पाकिस्तान में भी कोई भी टीम टूर्नामेंट खेलना पसंद नहीं करती है। लंबे समय से पाकिस्तान में कोई भी अंतरराष्टÑीय स्तर का टूर्नामेंट आयोजित नहीं हो सका है। ऐसे में इस क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत को पाकिस्तान के खिलाफ अपने कड़े तेवर बरकरार रखने की जरूरत है। क्योंकि बात सिर्फ दो प्वाइंट गंवाने की नहीं है, बल्कि राष्ट्र के सम्मान की है। पुलवामा में शहीद हुए 40 जवानों को टीम इंडिया की यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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