Saturday, March 2, 2019

पराक्रम का सबूत मांगना हमारी कायरता ही है

भारतीय लोकतंत्र आपको सवाल करने का हक देता है। भारतीय लोकतंत्र आपको अपनी बात करने का हक देता है। पर यही भारतीय लोकतंत्र हमें यह भी सिखाता है कि जब राष्ट के सम्मान की बात है तो हमें अपनी जुबान को बंद भी रखना चाहिए।



भारतीय में तथाकथित बुद्धिजीवियों का एक ऐसा गैंग सक्रिय है जिसका एक सूत्रीय काम सरकार के खिलाफ जाकर अपना एजेंडा सेट करना है। सरकार चाहे कांग्रेस की हो या फिर बीजेपी की या फिर किसी और दल की। इन तथाकथित बुद्धिजीवीयों को सरकार की हर एक नीति, हर एक कार्रवाई, हर एक कदम में राजनीति ही नजर आती है। दुश्मनों के खिलाफ कार्रवाई न हो तो इनके लिए सरकार कमजोर और रीढ़ हीन हो जाती है। दुश्मनों के खिलाफ कार्रवाई हो जाए तो इसका बकायदा सबूत मांगना शुरू कर देते हैं। सबूत मिल जाए तो कहेंगे कि राजनीतिक फायदे के लिए सबूत सामने ला दिए गए। सेना का दुरुपयोग किया जा रहा है। सरकार सबूत न दे तो इनके पेट में दर्द रहता है कि सरकार ने जब कुछ किया ही नहीं होगा तो सबूत क्या देंगे। ऐसे में मंथन बेहद जरूरी हो जाता है कि आम लोगों को क्या करना और किस तरह से अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। क्योंकि यह किसी दल, किसी व्यक्ति या किसी संस्था की बात नहीं है। यह देश की बात है। यह राष्टधर्म की बात है।
हमारे भारतीय वायु सेना के जांबाज वायु सैनिकों ने पाकिस्तान में जैश के उन चार ठिकानों को अंदर से नेस्तानाबुत कर दिया है जहां से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता था। आज जो लोग विंग कमांडर अभिनंदन को हमारे शौर्य का प्रतीक मान रहे हैं, वही लोग भारतीय वायुसेना के हमारे जांबाजों की कार्रवाई को शक की निगाह से देख रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी आंखों से नहीं देखा कि भारतीय वायुसैनिकों ने पाक में घुसकर आतंकियों को सबक सिखाया है। पुलवामा में मारे गए हमारे 40 वीर सैनिकों की शहादत का बदला आतंकियों के गढ़ को तबाह कर लिया है। पाक सेना जो कहती है उसे सच मान ले रहे हैं, लेकिन हमारे जांबाजों ने जो कर दिखाया है उसका सबूत मांगना शुरू कर दिया है। मजाक बनाया जा रहा है कि वहां कितने आतंकवादी मारे गए इसकी संख्या तो बता दें। पाक मीडिया उस क्षेत्र में मरे एक कौआ की तस्वीर को दिखा रहा है। उसे हमारे यहां के चंद सो कॉल्ड बुद्धिजीवी सच मान रहे हैं। पाकिस्तान का हाल तो यह है कि वह अपने एफ-16 के पायलट तक की शहादत की खबरें छुपा रहा है। उस पाकिस्तान से ये लोग उम्मीद कर रहे हैं कि वहां जमींदोज हुए आतंकियों के जनाजे, उनके ट्रेनिंग कैंप के तबाह होने की निशानी दिखा दे। हद है। कुछ तो शर्म करना चाहिए इन्हें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास मत करो। बीजेपी सरकार को खूब भला बुरा कहो। नरेंद्र मोदी को हर बात पर राजनीति न करने की सीख दो। पर हमारे वायु सैनिकों के शौर्य और पराक्रम को तो कठघरे में न खड़ा करो। बेहद गंभीरता से मंथन करने की जरूरत है।
इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने खुलासा किया है कि हमारी खुफिया एजेंसियों के पास सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) की तस्वीरों के तौर पर सबूत हैं। इसमें चार इमारतें नजर आ रही हैं। इनकी पहचान उन लक्ष्यों के तौर पर हुई है जिन्हें कि वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज-2000 ने पांच एस-2000 प्रिसिजन गाइडेडे म्यूनिशन (पीजीएम) के जरिए निशाना बनाया था। यह इमारतें मदरसे के परिसर में थीं जिसे कि जैश संचालित कर रहा था। यह उसी पहाड़ी की रिज लाइन पर स्थित है जिसे कि वायुसेना ने निशाना बनाया था। पाकिस्तान ने इस बात को स्वीकार किया है कि उस क्षेत्र में भारत ने बमबारी की थी, लेकिन उसने आतंकी ठिकानों को निशाना बनाए जाने या किसी तरह के नुकसान होने की बात को नकारा है।
मंथन करने की जरूरत है कि अगर पाक सरकार इतनी ही पाक साफ है तो वह यह बात क्यों पूरी दुनिया से छिपा रही है कि भारतीय वायु सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उस पहाड़ी पर मौजूद मदरसों को सील क्यों कर दिया? उसने मदरसे के अंदर पत्रकारों को जाने की इजाजत क्यों नहीं दी? यह कुछ ऐसी बेसिक बातें हैं जिन्हें समझने की जरूरत है। याद करिए उस दिन जब तीनों सेना के अधिकारियों ने संयुक्त प्रेस कॉन्फे्रंस की थी तो क्या कहा था। उन्होंने कहा था कि हमारे पास तमाम सबूत मौजूद हैं कि हमारे वीर सैनिकों ने पाक में संचालित आतंकी संगठनों के कैंप को नेस्तनाबूत कर दिया है। अब यह टॉप गवर्नमेंट लीडरशिप पर निर्भर है कि वह इन सबूतों को मीडिया या पूरे देश के सामने रखती है नहीं।

मेरी राय में तो बिल्कुल सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए। क्यों भारत सरकार सबूत दे। जो हमारे वीर सैनिकों को करना था उन्होंने कर दिखाया। जो तबाही लानी थी वह ला दी। याद करिए जब फर्स्ट सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी, तब भी हमारे देश में बैठे तथाकथित बुद्धिजीवीयों ने सबूत मांगे थे। सरकार इस कदर दबाव में आ गई थी उसने सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो काफी दिन बाद जारी कर दिए। हुआ क्या? क्या जिनको संतुष्ट करने के लिए सरकार ने सबूत सामने ला दिए थे वो समझ गए? क्या उन्हें संतुष्टि मिल गई कि हमारी सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम से दुश्मनों को उनके घर में घुसकर मारा है? नहीं। वो कल भी सबूत मांग रहे थे, वो आज भी सबूत मांग रहे हैं। और अगर भविष्य में भी ऐसा कोई कदम उठाया गया तो वह उनके भी सबूत मांगेंगे। वे कभी संतुष्ट नहीं होंगे।
किसी भी देश की सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह चंद लोगों को संतुष्ट करने के लिए अपने अति गोपनीय चीजों को पब्लिक डोमेन में न लाए। जो बातें गुप्त होनी चाहिए वह गुप्त ही रहने दिया जाए। यह भी याद करिए कि जब सर्जिकल स्ट्राइक-एक के सबूत देश के सामने लाए गए थे तो क्या हुआ था। उस वक्त राजनीतिक मुद्दा यह बना दिया गया कि सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत लाकर मोदी सरकार इसका राजनीतिक फायदा लेना चाहती है। जो लोग हाय तौबा मचाकर सबूत-सबूत चिल्ला रहे थे, वह तत्काल अपनी बात से पलटी मार गए और इसे राजनीतिक फायदे के तौर पर देखने लगे। नुकसान किसे हुआ? हमारी सेना को। उनकी विश्वसनियता को। ऐसे में मंथन जरूर करना चाहिए कि क्यों किसी सरकार को अपनी गोपनीय चीजों को सामने नहीं लाना चाहिए। अगर मोदी सरकार ने एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक-2 के सबूत देश के सामने ला दिया तो एक बार फिर से वही बात दोहराई जाएगी कि सरकार ने सेना के पराक्रम का उपयोग राजनीतिक फायदे के लिए किया है। किसी भी लोकतांत्रिक देश की सरकार को सेना के बल और पराक्रम का फायदा कभी भी राजनीतिक रूप से लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए। अगर कोई इसका फायदा उठाता भी है तो जनता को यह अधिकार है कि वह उसका करारा जवाब दे। 

हमारी भारतीय सेना पूरे विश्व में एक बेहद प्रोफेशनल विंग के रूप में जानी जाती है। तीनों सेना के हमारे जांबाजों को पता है कि अगर कोई दुश्मन हमारी तरफ आंख उठाकर देखेगा तो उसको कैसे जवाब देना है। विंग कमांडर अभिनंदन ने भारतीय सेनाओं की इसी परंपरा का निवर्हन किया। उन्हें पता था कि उनके मिग-21 के सामने अति अत्याधुनिक एफ-16 मौजूद है। पर इसी वीरता का नाम भारतीय सेना है। अभिनंदन ने इस बात की परवाह नहीं कि सामने किस जेनरेशन और किन क्षमताओं वाला लाड़ाकू विमान है। वह सिर्फ यह जानते थे कि सामने उनका दुश्मन है, जिसने मां भारती की सरजमीं में घुसने की हिमाकत की है। अभिनंदन ने न केवल दुश्मन को मार गिराया, बल्कि एक ऐसी मिसाल कायम कर दी है जिसे सदियों तक दोहराया जाएगा।
ऐसे में जो लोग हमारे वायुसैनिकों द्वारा पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को ठिकाने लगाने का सबूत मांग रहे हैं उन्हें शर्म करने की जरूरत है। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि हम यह दुनिया को क्यों बताएं कि हमने कैसे उन्हें खत्म किया है। हम यह क्यों बताने जाएं कि हमारी स्ट्रेटजी क्या थी। हमारी खुफिया प्लानिंग क्या थी। हमने कैसे उन्हें चिह्नित किया। हमने कैसे उन्हें नेस्तनाबूत किया। हमारी सेना के जांबाजों को जो टास्क मिला उसे उन्होंने पूरा किया। दुनिया भर की सेना अपना गुप्त अभियान करती है। कभी यह गुप्त अभियान किसी दुश्मन देश के खिलाफ होता है, कभी आतंक के खिलाफ। पर कभी किसी देश की सरकार पर अपनी सेना के शौर्य और पराक्रम के सबूत मांगने के लिए दबाव नहीं दिया जाता है।
भारतीय लोकतंत्र आपको सवाल करने का हक देता है। भारतीय लोकतंत्र आपको अपनी बात करने का हक देता है। पर यही भारतीय लोकतंत्र हमें यह भी सिखाता है कि जब राष्टÑ के सम्मान की बात है तो हमें अपनी जुबान को बंद भी रखना चाहिए। भारतीय सेना से सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने वालों को अपनी गिरेबां में झांकने की जरूरत है। हमारी सेना के पराक्रम का सबूत मांगना कायरता नहीं तो क्या है? आप भी जरूर मंथन करिए।

2 comments:

mrinal said...

बिल्कुल सही। चंद जयचन्दों की संतुष्टि के लिए राष्ट्र की सुरक्षा से कोई समझौता नही ।

Prem S Anna Dhami said...

हमारी सेना के पराक्रम का सबूत मांगना कायरता ही है। देश के ऐसे जयचंदों के खिलाफ भी सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है।