Sunday, June 23, 2019

इस एक फल ने सभी को ‘फेल’ कर दिया


कल मैंने फेसबुक पर इस फल की एक तस्वीर डालकर इसके बारे में आप सभी से पूछा था। जबर्दस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। साथ ही एक साथ इतने सारे फलों के नाम भी जानने को मिले। सभी ने अपनी-अपनी जानकारी के अनुसार नाम सही बताए, क्योंकि इस तरह के मिलते जुलते फल भारत के सभी इलाकों में पाए जाते हैं। खासकर उत्तर भारत में इस तरह के फल देखने को मिलते हैं।

पर यह फल उन सभी फलों में सबसे अलग है। यह राजस्थान का स्पेशल फल ‘काचर’ है। तमाम लोगों ने इस फल को कोहड़ा, कोहड़, काढ़ला, कदिमा, पतिसा, कुम्हड़ा, खबहा, छहुआ कोहड़ा, बरिया कोहणा, ककड़ी बताया। जिन लोगों ने इस फल के नाम बताए वो उत्तरप्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखते हैं। सभी ने एक से बढ़कर एक नए नाम बताए, जो वहां के स्थानीय बोली में प्रचलित हैं। पर जितने भी नाम बताए गए उनमें से अधिकतर का आशय पेठा बनाने वाले फल से था।
पर यह काचर फल उन सभी में से अलग है। यह राजस्थान के रेतिले और बेहद गर्म वाली जगह में पैदा होता है। यह खरबूजे की प्रजाति का ही फल है। पर यह खाने में थोड़ा खट्टापन लिए होता है। जिस तरह आप पपीता को काटते हैं, ठीक उसी तरह जब आप इसे काटेंगे तो आपको पहली झलक में पपीता ही नजर आएगा। पपीते की तरह की बीच में दो भाग होते हैं जिसमें बीज भरा होता है। 
राजस्थान के इलाकों में इस फल को सुखाकर आमचूर की तरह भी प्रयोग में लाया जाता है। स्थानीय लोग इसे सुखाकर इसका पाउडर बनाते हैं और बेचते हैं। जब यह फल होता है तब इसका नाम काचर होता है, लेकिन जब पाउडर बन जाता है तो यह काचरी के नाम से जाना जाता है।
काचर के साथ सबसे मजेदार बात यह है कि काचर को आप कच्चे में सब्जी बनाकर खा सकते हैं। थोड़ा पक जाए तो छिलका उतारकर इसे सलाद के रूप में खा सकते हैं। या फिर आप तरबूज या खरबूज की तरह कभी भी हल्के नमक के साथ खा सकते हैं।  इस फल को लगाने के लिए कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ती है। इसकी बेल खेतों में अपने आप उग आती है। जिस तरह पपीते में बीच की बहुतायत होती है और उसके बीज कहीं फेंक दिए जाए तो पेड़ उग आता है। ठीक उसी तरह काचर के साथ भी है। काचर जब कच्चा रहे तो इसकी मसालेदार सब्जी बनाई जाती है। हमारे बिहार में सिलौटी पर लहसून, लाल मिर्च और पीली सरसों पीस कर जो मसाला तैयार होता है उसी तरह के मसाले में अगर इस काचर को बनाया जाए तो मेरे जैसे चटोरों की चांदी हो जाए।

राजस्थान के मेरे मित्र कल अपने फॉर्म हाउस से इसे लेकर आए थे। उन्होंने पिछले दो साल से इस फल का वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन शुरू किया है। बताते हैं कि अभी इस पर रिसर्च भी चल रहा है, इस फल में औषधिय गुण भी प्रचुर मात्रा में है। राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में इससे देसी उपचार भी होता है। पेट के लिए यह रामबाण उपाय है। जिनके कब्ज की शिकायत है, या फिर जिनकी पाचन शक्ति कम हो गई। वो अगर रोज सुबह इसका सेवन करें तो चमत्कारिक फायदा होता है। इस फल को खाने के समय सिर्फ एक सावधानी बरतनी होती है कि आप इसे खाने के बाद पानी का सेवन बिल्कुल न करें। हो सके तो आधे घंटे तक पानी न पीएं।
तो अगली बार जब आप राजस्थान की यात्रा पर निकलें तो काचर का स्वाद जरूर लें। भीषण गर्मी में ही आप इसका स्वाद ले सकते हैं।

1 comment:

nand kishore pathak said...

वाह सर वाकई अद्भुत है