Wednesday, February 11, 2009

बर्फ की आगोश में

बुधवार को अल्साई सुबह में जब सो कर उठा तो बारिश ने देहरादून की वादियों को भिंगो रखा था। जैसे ही फ्लैट से बाहर निकला सामने हिल क़ुइन मसूरी पूरी तरह बर्फ की सफ़ेद चादर में लिपटी नजर आई। पहले तो सोंचा तुरंत ही निकर चलूँ प्रकृति के इस अनुपम सोंदर्य को करीब से देखने को। लेकिन बारिश की बूँदें रास्ता रोक रही थी। ऑफिस पंहुचा तो श्याम भइया पहले से ही प्रोग्राम बनाये थे। बस फिर क्या था हम लोग निकल परे अपनी बसंती से। हम लोग जल्द से जल्द कुदरत के इस सोंदर्य को छू लेने को बेताब थे। एक घंटे की सुखद यात्रा के बाद हम लोग मसूरी की हसींन वादियों में थे। यहाँ मोसम की रूमानियत ने लोगों को इस कदर अपने रंग में रंग रखा था की हर कोई इस पल को जी लेना चाहता था। चारों तरफ बर्फ की सफ़ेद चादर थी। ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति ने श्रृंगार के सारे रस यहाँ गिरा दिए हैं। माल रोड पर जैसे ही हम पंहुचे दूर से किसी के द्वारा फेंके गए बर्फ के गोले ने हमारा स्वागत किया। हमने भी इस इस्तकबाल को स्वीकार किया और लगे दनादन बर्फ़बारी करने। हमें ही क्या किसी को भी होश नही था बर्फ के गोले किसे लग रहे हैं। सभी इस पल में खो जाना चाहते थे। फिजाओं में प्यार की बर्फ़बारी हो रही थी। मसूरी का के एम् पी टी फाल हो या कम्पनी गार्डन हर तरफ बर्फ ही बर्फ दिख रही थी। दूर दूर से पंहुचे पर्यटक इस नज़ारे को अपने कैमरे में कैद कर यादों में सहेज रहे थे। लंबे लंबे दरक्तों पर जमी बर्फ जब आँख मिचोली कर रही सूरज की किरणों से टकराती थी तो सूरज के प्यार में ख़ुद को पिघलने से नही रोक पा रही थी। उसे भी लगता है यह एहसास हो गया था की वैलेंटाइन वीक चल रहा है। ऐसे में सूरज की किरणों और बर्फ के प्यार को भला कौन रोक सकता था। हम भी काफी देर तक इस प्यार का लुत्फ़ लेते रहे। उधर शाम भी रंगीन हो चली थी। ऑफिस पंहुचने का भी टेंशन था। मन तो जरा भी नही कर रहा था की इस हसीन वादी से इतनी जल्दी रुखसत हों। मसूरी की वादियों से हमें ऐसा प्यार हो गया जैसे हमदम से होता है। लेकिन ख़ुद से वादा करते हुए हम लोगों ने मसूरी से विदा लिया की..... हम कोई वक्त नही हैं हमदम जब बुलाओगे चले आयेंगे...

3 comments:

Shamikh Faraz said...

kunal sahab maine sirf aik hi bar dehraduna ur masoorie dekha hai lekin dil ko chuu gaya.gar waqt mile to mera blog bhe dekhn

अंकुर माहेश्वरी said...

sir ji namste..
aapka prayas kafi achha laga .. apki yadon ko sanjone ka tarika hame bhi prerit karta hai ..

आशीष तिवारी said...

wa kunal bhai...aap to waise bhi haseen waadiyo me ghire rahe hai...wo chahe dehradun ho ya chandigarh...ye baat alag hai ki waadiyo ki haseenaye alag alag alag hai...keep it up...