Wednesday, July 14, 2010

ऐसे पुलिसकर्मियों को सलाम

सलाम करने को जी चाहता है ऐसे पुलिसकर्मियों को। देहरादून के इतिहास में सन्डे की शाम जो कुछ भी हुआ उसने खाकी और कड़ी की जंग में एक नई इब्बारत लिख दी। एक पुलिस इंस्पेक्टर ने अपने फर्ज को निभाते हुए वो कर दिया जिसने प्रदेश के पुरे राजनीतिक तंत्र को हिला कर रख दिया। मामला कुछ इस तरह है।
देहरादून शहर से इंडियन मिलेट्री अकादमी से होकर चंडीगढ़ हाई वे गुजरती है। इसी हाई वे पर सन्डे की शाम एक एक्सिडेंट हो गया। इसी रस्ते में प्रेम नगर चौकी है। चरों तरफ से जाम लग गया। जाम हटाने के लिए पुलिस ने रूट बदल दिया। इसी बिच विधायक राजकुमार अपने लोगों के साथ वहां आ पंहुचे। रोड पर अपनी कार खरी कर मार्केट में चले गए। पुलिस ने जब वहां से कार हटाने के लिए कहा तो विधायक का ड्राईवर उनसे उलझ परा। विधायक भी पंहुचे और अपने खादी का रौब झारने लगे। पुलिस इंस्पेक्टर मनोज नेगी को भी खरी खोटी सुना डाली। जब बात हद से आगे बढ़ गई तो मनोज ने विधायक के साथ वो सुलूक किया जो एक पुलिस को करनी चाहिए। सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने के आरोप में मनोज उन्हें अर्रेस्ट कर थाने ले आया। बाद में विधायक ने वो राजनीती खेली की देहरादून का पूरा पुलिस अमला ही बदल दिया गया। विधायक के साथ मिस बिहेव के मामले में प्रदेश के डीजीपी तक को बदल दिया गया। पुलिस कप्तान को भी हटा दिया गया। पुलिस इंस्पेक्टर मनोज नेगी को अर्रेस्ट कर १४ दिन की न्यान्यीक हिरासत में भेज दिया गया। अब नेता खुश हैं। सिटी पुलिस का मोरल गिरा हुआ है। पब्लिक कह रही है पुलिस के साथ अन्याय हुआ है। उधर प्रदेश के मुखिया धृतरास्ट्र की तरह अंधे बनकर चुप चाप बैठे हैं। मनोज ने जेल जाने से पहले मीडिया से बातचीत में अपना दर्द बंया किया। उसने कहा सम्मान को गिरवी रख कर नौकरी नहीं करनी मुझे।
मैं जब चण्डीगढ़ में था वहां की एक घटना याद आ रही है। एक मामूली सा ट्रेफिक सिपाही राज्यपाल की कार का चालान सिर्फ इससलिए काट देता है क्यूंकि कार में राज्यपाल नहीं थे और कार पर लगे प्लेट पर ऐप्रोउन नहीं लगा था। खूब हंगामा हुआ था। लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी की उस सिपाही को तरक्की दे कर हवलदार बनाया गया। उसे विशेष इनाम दिया गया। चण्डीगढ़ शहर में क्या मजाल की कोई नेता या नौकरशाह ट्रेफिक नियम तोरने की जुर्रत करे।
अब आप खुद ही अंदाजा लगा लें देहरादून पुलिस की क्या हालत होगी। जब एक इंस्पेक्टर की गलती जो गलती न होकर अपना फर्ज निभाना है उसका खामियाजा डीजीपी, पुलिस कप्तान और सिटी एसपी तक को भुगतना पर रहा है।

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