Sunday, September 18, 2016

17 जवानों की शहादत, युद्ध नहीं तो क्या?


श्रीनगर से करीब सौ किलोमीटर दूर उरी सेक्टर में आर्मी कैंप में अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस आतंकी हमले में 17 जवानों की शहादत से पूरा देश गमगीन है। रात के घने अंधेरे में हुए इस हमले ने दिन के उजाले की तरह साफ कर दिया है कि पड़ोसी मुल्क की मंशा क्या है। मंथन का वक्त है कि क्या हम अब भी इसे युद्ध मानने से इनकार कर दें?
युद्ध की सर्वमान्य परिभाषा न तो कभी पहले तय की जा सकी है और न अब। इस साइबर युग में युद्ध अब किताबी ज्ञान से काफी आगे बढ़ चुका है। कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी के इनकाउंटर के बाद जिस तरह घाटी सुलग रही है, उसने स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि पाकिस्तान अपनी छद्म युद्ध को किसी भी स्तर पर लेकर जा सकता है। खुफिया इनपुट भी लगातार इस ओर इशारा कर रहे थे कि आने वाले दिनों में घाटी को और भी अशांत करने के लिए आर्मी को ही निशाना बनाया जाएगा। अब उरी सेक्टर की आतंकी घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान की क्या चाहता है। रविवार की सुबह जब पूरा देश नींद के आगोश में था तो उसी वक्त उरी सेना मुख्यालय में भारतीय जांबाज आतंकियों से लोहा ले रहे थे। आतंकियों ने जवानों पर बम से हमला किया, जिससे वहां टेंट में आग लग गई। ज्यादातर जवान इस अप्रत्याशित हमले में आग लगने से हताहत हुए। करीब 17 जवान शहीद हुए और 19 जवान गंभीर रूप से घायल हैं। यह आतंकी हमला ऐसे समय में हुआ है जब दोनों देशों के बीच तल्खी का माहौल है। आतंकी बुरहान की मौत के बाद जिस तरह पाकिस्तान ने अपना रिएक्शन दिया था उसने भी साफ कर दिया था कि पाक किस तरह भारत को अस्थिर करने की साजिश रच रहा है। काला दिवस मनाकर उसने दोनों देशों की तल्खी को और बढ़ाने का ही काम किया था।
अब सवाल यह उठता है कि इतना सबकुछ हो जाने के बाद भारत का रूख क्या होगा? क्या भारत अब खुले तौर पर यह स्वीकार नहीं कर लेना चाहिए कि पाकिस्तान ने सही अर्थों में भारत के साथ युद्ध घोषित कर रखा है। राजनीतिक पंडित क्या कहेंगे और किस रणनीति को अपनाने की बात कहेंगे इससे भारतीय जनमानस को कोई परवाह नहीं है। एक आम भारतीय तो बस यही चाह रहा है कि भारत इस युद्ध का जबाव देगा या नहीं? हालांकि इस आतंकी हमले के तत्काल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ शब्दों में यह जरूर कहा है कि हमले के दोषियों को किसी की कीमत पर बख्सा नहीं जाएगा। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी ऐसे ही तेवर दिखाए हैं। पर क्या यह तेवर सिर्फ बयानों तक ही सीमित रहेंगे या फिर जमीनी स्तर पर भी भारत अपने तेवर दिखाएगा।

यहां सबसे अहम यह है कि उरी में हमले के चंद घंटे पहले ही पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने एक पाकिस्तान टीवी चैनल पर इंटरव्यू के दौरान साफ शब्दों में कहा है कि भारत के खिलाफ अगर जरूरी हुआ तो परमाणू हमले से भी परहेज नहीं होगा। ऐसे में भारतीय रणनीतिकारों को अब भी कुछ सोचने समझना बांकी रह गया है कि पाकिस्तान किस तरह भारत पर प्रेशर गेम बिल्डप कर रहा है।  पाकिस्तान लगातार धमकी देता है और भारतीय रणनीतिकार इसे सिर्फ हवाई बात कहकर शांति बहाल की उम्मीद करते हैं। पीओके को लेकर भारत के पास इतने इनपुट हैं जिससे इसे युद्ध मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
पीओके में कितने ऐसे टेरर कैंप हैं जो कि एलओसी से लगे हैं और कितने लॉन्चिंग पैड हैं जहां से आतंकी घुसपैठ करके जम्मू-कश्मीर में दाखिल होते हैं। यह सारे इनपुट गृहमंत्रालय से लेकर रक्षामंत्रालय तक को हैं। आतंकियों के पास हथियारों के जखीरे से लेकर पाक सेना द्वारा पहुंचाई जा रही मदद की जानकारी भी है। बावजूद इसके भारत किस इंतजार में बैठा है यह समझ से परे है। कारगील युद्ध के पहले शहीद मेजर सौरभ कालिया के परिजन आज भी भारत सरकार से पूछ रहे हैं कि उनके शहीद बेटे के बलिदान का बदला भारत कब लेगा। इसका जबाव आज तक नहीं मिल सका है। ऐसे में आज उरी में शहीद हुए 17 जवानों के परिजनों को भारत सरकार कब जबाव देगी। उन जवानों के परिजनों के अलावा आज पूरा देश भारत सरकार से पूछ रहा है कि कब तक हम पीओके में मौजूद लॉन्चिंग पैड पर सिर्फ निगाह टिकाए बैठे रहेंगे। अब यह मंथन का समय नहीं है। कार्रवाई का समय है।

वर्ष 2014 में भी उरी सेक्टर में ठीक इसी तरह का आतंकी हमला हुआ था। उस हमले में सात जवान शहीद हुए थे। उस वक्त भी रक्षा विशेषज्ञों ने स्पष्ट कहा था कि अब सीधी कार्रवाई करनी चाहिए। यह कार्रवाई दो स्तर पर होनी चाहिए। पहले स्तर पर आतंकियों के सेफ हाउस को टारगेट करना चाहिए। ये सेफ हाउसे जम्मू-कश्मीर के अंदर ही मौजूद हैं। इन सेफ हाउस पर कार्रवाई में अब नहीं देखना चाहिए कि सेफ हाउस के ऊपर किसका हाथ है। सीधी कार्रवाई करनी चाहिए, बिना किसी राजनीतिक भय के। दूसरे स्तर पर कार्रवाई  सर्जिकल स्ट्राइक के साथ होना चाहिए।  पीओके में मौजूद लॉन्चिंग पैड के अलावा वहां मौजूद आतंकी कैंप को सीधा निशाना बनाए जाने की जरूरत है। जब पाकिस्तान ने भारत के साथ खुले तौर पर युद्ध की घोषणा कर ही रखी है तो डरना किस बात का। 17 जवानों की शहादत लगातार यह सवाल पूछेगी कि क्या अब भी युद्ध को स्वीकार करने में कोई और बड़ी शहादत का इंतजार रहेगा?


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