Thursday, September 29, 2016

छू ले तुझको है किसमें दम, भारत माता तेरी कसम


प्रधानमंत्री ने उड़ी हमले के चंद दिनों बाद केरल में रैली की थी। इस दौरान जो उन्होंने जो हुंकार भरी थी उस पर भी मोदी भक्तों को कोसने वालों ने सवालिया निशान लगा दिया था। 56 र्इंच की दुहाई देकर ताना मारने वालों के लिए भारतीय जांबाजों का सैन्य पराक्रम इस बात का प्रमाण है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो दुश्मनों को उनके घर में घुस कर मारने में हमारी भारतीय सेना कभी पीछे नहीं हटेगी। सियाचिन की घाटियों में दीपावली मनाने वाले भारतीय प्रधानमंत्री ने केरल को अपनी बात रखने के लिए क्यों चुना, इस पर मोदी भक्तों के दुश्मनों ने टिप्पणी की। टिप्पणी कोई भी कर सकता है, वह स्वतंत्र है।
पर ऐसे वक्त पर जब पूरा देश एक होने की बात दोहरा रहा हो, जब जनभावनाएं एकजूट होने का आह्वान कर रही हो, हर एक भारतीय उड़ी के उन 18 शहीदों के बलिदान को याद करके अपनी भुजाएं फड़फड़ा रहा हो, ऐसे में देश के प्रधानमंत्री को संबल और हौसला देने की बजाए कुछ तथाकथित बड़े पत्रकार और तथाकथित आलोचक अपनी राग भैरवी गाने में जुट जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने उड़ी हमले के बाद अपने पहले सार्वजनिक मंच से पाकिस्तान को जो संदेश दिया था वह अपने आप में बहुत कुछ बयां कर रहा था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी यूएन में दहाड़ते हुए पाकिस्तान को उसकी करनी का फल भुगतने को तैयार रहने को कहा था। भरतीय सेना ने जो हुंकार भरी थी उसके भी अपने मायने थे। भारतीय सेना की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया था कि 18 शहीदों के बलिदान का बदला तो जरूर लिया जाएगा, लेकिन समय और दिन वह खुद तय करेंगे। इतने के बावजूद भी ताना मारने वालों की जमात खुद को सो कॉल्ड बुद्धिजिवि कहलाने में बिजी थे।
आज जब भारतीय सेना सीना ठोकर कह रही है कि पाकिस्तान में घुसकर हमने आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया है। ऐसे में हर एक भारतीय को इंडियन आर्मी के जांबाजों पर गर्व महसूस हो रहा है। वह इतना गौरव महसूस कर रहा है कि हर तरफ भारतीय सेना की जय जयकार हो रही है। सबकुछ अच्छा-अच्छा हो रहा है, लेकिन इसके बाद क्या?
इसके बाद क्या..यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर हम सभी को सोचना है। रक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं अभी टेंशन और बढ़ेगी। ऐसे में सबसे अहम है हमारी एकजूटता। मोदी सरकार ने देर शाम ही आॅल पार्टी मीटिंग बुलाकर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि हमें एकजुट होना होगा। ऐसे में मीडिया के अलावा आम लोगों को भी एकजुट रहने की जरूरत है।
किसी सरकार की आलोचना जायज है। इससे उसे और बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है। पर एक समय ऐसा होता है जब हमें सभी दुर्भावनाओं से ऊपर उठना होता है। सभी आलोचनाओं को पीछे छोड़ना होता है। यह वही समय है। हमें यह स्वीकारने में जरा भी संकोच नहीं करना चाहिए कि मोदी हमारे प्रधानमंत्री हैं। वह अगर वह करारा जवाब देने की बात कह रहे हैं तो स्वीकार करना चाहिए। यह नहीं कि उन्हें अपना 56 र्इंच का सीना दिखाने की चुनौती देनी चाहिए। मोदी भक्त..मोदी भक्त कहकर राष्टÑप्रेम को भी कटघरे में खड़ा करने वालों से भी हमें सावधान रहने की जरूरत है।

तो हे मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर न स्वीकार करने वालों, तो हे भक्तों को गाली देने वालों अब भी समय है एकजूटता दिखाओ। पड़ोसी आंखे तरेरे बैठा है। अब भी एकजूट नहीं रहोगे तो आने वाली पीढ़ी तुमसे यही सवाल करेगी कि मोदी की खामी निकालने में समय जायज करने वालों कम से कम आज के वक्त तो एकजूट होकर अपनी सरकार के साथ खड़े रहो।
अंत में उन जांबाजों के नाम यह चंद पंक्तियां जिन्होंने भारत मां पर बुरी नजर रखने वालों को उनके घर में घुसकर मारा..
भारत माता तेरी रक्षक रहेंगे हम
दीवारें बनेंगे हम मां
तलवारें हम बनेंगे मां
छू ले तुझको है किसमें दम
भारत माता तेरी कसम
वंदे मातरम, वंदे मातरम

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